मंगलवार, 19 अप्रैल 2011

कन्या लगन का सप्तम भाव

कालपुरुष के अनुसार कन्या लगन छठे भाव की राशि है इस राशि से बुध के सकारात्मक होने का भान मिलता है। कन्या लगन की सहयोगी राशियां वृष और मकर होती है,कन्या का त्रिकोण इन्ही तीन राशियों के लिये अपना आस्तित्व बताता है। धन के लिये शरीर पेट के लिये रोजाना की मेहनत और भाग्य के लिये हमेशा के लिये किये जाने वाले कार्य इन तीनो भावों से एक साथ जुडे माने जाते है। इस लगन के लिये कर्क वृश्चिक और मीन राशि के प्रति जीवन भर के लिये लगाव माना जाता है,कर्क राशि का प्रभाव अपने को समाज में दिखाने के लिये मीन राशि का प्रभाव जीवन साथी और साझेदारी की बातों के लिये और वृश्चिक राशि का प्रभाव लाभ और दोस्ती के लिये माना जाता है। इस राशि के लिये सप्तम की राशि मीन है। मीन राशि और उसके स्वामी गुरु के अनुसार ही जीवन साथी के लिये माना जाता है।

कन्या लगन के लिये जीवन साथी का कारक गुरु है। गुरु की स्थिति के अनुसार ही शादी विवाह और जीवन साथी के प्रभाव को जाना जाता है। गुरु का स्थान अगर दसवे भाव में होता है तो गुरु का स्थान मिथुन राशि में माना जाता है,मिथुन राशि का गुरु कमन्यूकेशन के कार्यों मे अपनी अच्छी पकड रखता है और बडे संस्थानों को सम्भालने के लिये माना जाता है। अगर कन्या लगन के सप्तम मे सूर्य होता है तो दोहरे जीवन साथी के लिये अपना प्रभाव देता है,बुध होता है तो दो स्त्री के लिये सौत और पुरुष के लिये द्विपति वाली स्थिति को समझा जाता है,चन्द्रमा होता है तो पति के स्थान पर केवल छल किया जाना ही मिलता है। चन्द्रमा के होने पर जीवन साथी अपने कार्यों और व्यवहार से केवल छल करता है और जीवन साथी के परिवार वाले जैसे पिता और माता अपने अनुसार पति को चलाने की बात करते है। अगर किसी प्रकार से राहु गुरु को बल देता है तो पति के सामने तमाम तरह के कनफ़्यूजन सामने होते है और समय के आने पर पति अपने ही परिवार को सम्भालने का कार्य करता है और पति के स्थान पर केवल पिछली यादों के सहारे जातिका को अपना जीवन जीना पडता है। सन्तान का कारक शनि है और शनि ही कर्जा दुश्मनी बीमारी का मालिक है,अगर शनि का स्थान पंचम भाव में है तो जीवन साथी के प्रति और लाभ के कामो के साथ खुद के परिवार के प्रति भी अन्धेरा माना जाता है। जातिका या जातक अपने लिये सुरक्षा के प्रति हमेशा चिंतित रहता है.शनि के साथ मंगल होता है तो जातिका या जातक का स्वभाव कार्य के मामले में तेज होताहै उसे कटु बोलना आता है,वह किसी भी कार्य को मन लगाकर करने वाला होता है और कार्य के दौरान अधिकारियों से नही बनती है,साथ ही आक्षेप भी लगाये जाते है। शनि के साथ राहु के होने से भी जातक के जीवन में कभी तो कार्य बहुत होते है और कभी कार्य बिलकुल नही होते है,इसके साथ जातक या जातिका को प्रेम प्रसंग के मामले मे फ़ोटो ग्राफ़ी और खेल कूद को देखने खेलने और जोखिम वाले काम करने की आदत होती है। शनि के साथ शुक्र के होने से जातक या जातिका के पास भौतिक साधनों की भरमार होती है जो भी घर और बाहर के कार्य होते है उनके लिये भौतिक साधन आराम से मिल जाते है लेकिन उम्र की बयालीसवीं साल तक चिन्ता से छुटकारा नही मिलता है।

10 टिप्‍पणियां:

  1. कन्या लगन में बुध लगन में शनि दूसरे और गुरु ११वे हों तो कैसा रहना छाहिये.मेरे हिसाब से सब बढ़िया होना छाहिये पर वस्तुतः ऐसा है नहीं १९५५ बोर्न कुछ लोगों की कुंडली में यह स्थिति हैं पर जीवन निराशजनक ही है

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  2. गुरु कर्क राशि का है तो लेकिन वह कालपुरुष के अनुसार रहेगा तो कुम्भ राशि का ही,कितना ही उच्च प्रभाव दे लेकिन शनि की कालिमा में अपने आस्तित्व को बरकरार नही रख पायेगा,जब भी बोलने में प्रदर्शित करने में अपनी कला को प्रदर्शित करना चाहेगा बीच में सूर्य का अहम तो आडे आ ही जायेगा,जिस शनि को उच्च का समझ कर अपने मन मन्दिर में रखना चाहेगा वही शानि आडे वक्त पर पत्थर का व्यवहार करेगा और घर का हो या बाहर का उसे केवल अपने स्वार्थ की पूर्ति से ही फ़ुरसत नही मिलेगी.शनि से बारहवां बुध पता नही कब कार्यों से अपने मूड को चेंज कर ले,रोजाना के कार्यों के अन्दर पता नही कब गुरु अपनी स्वच्छता को प्रदर्शित करने लग जाये,बेचारा बुध तो धर्मी भी हो गया और जो भी कार्य परिवार के लिये किये वक्त आने पर वह सभी कीमत में तोले जाने लगे,कैसे सुखी रह पायेगा ग्रुहस्थ जीवन.

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  3. पंडित जी,वृश्चिक लग्न की कुंडली में यदि चतुर्थ भाव में शनि स्वराशि हो और सूर्य भी दशम भाव में बुध के साथ स्वराशि हो तो इस का क्या उपाय होनी चाहिए?

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  4. प्रणाम गुरु जी
    मेरी कुंडली देख क बताये की
    सरकारी नौकरी के योग है की नहीं।
    मै करोडो रुपये कमाऊंगा या नहीं
    बचपन से सपना है बहुत बड़ा आदमी बन ने का
    क्या मेरी ज़िन्दगी में ऐसा योग है जो मुझे
    सफलता के बुलंदियों पे ले जाये।


    मनीष कुमार भारती
    जन्म तिथि - 02/06/1992
    समय- 01:30 pm (दिन में)
    जन्म स्थान- SHERGHATI (bihar)
    अक

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  5. कन्या लग्न में गुरु कन्या के चन्द्र मीन के सूर्य तुला, शनि मकर ,शुक्र+बुध+राहू व्रशचिक में तथा मगल कर्क राशि में है राहू केतु -२९* अन्श , मगल ००:४९ अन्श,तथा बाकी सब बलवान हैं।। प्रश्न:- मैं धर्म, वैदिक शिक्षा तथा अनुसंधान के क्षेत्र में कार्य करना चाहता हूं तथा बदलाव लाना चाहता हूँ, नवमान्श में उच्च का सूर्य गुरु के साथ दशम स्थान पर है तथा उच्च के शुक्र राहू के साथ नवम, चन्द्र के साथ बुद्ध ४ घर में मन्गल लग्न में, शनि १२वे भाव में है। मार्ग दर्शन करें।।

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  6. कन्या लग्न में दशम भाव में अद्रा नक्षत्र में गुरु मंगल की युति गुरु की दशा में क्या परिणाम देगी यदि राहु लग्न में हस्त नक्षत्र में हो तो

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  7. 20/06/1988
    समय-01:00pm.....Guru ji meri saadi kis varsh me hogi aur kaisi jivan saathi milegi

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